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Phulera Dooj 2022: फुलेरा दूज आज, जानें पूजन विधि और इस दिन का महत्व

来源:नागालैंड इलेक्शन 2023编辑:आज का राशिफल तुला时间:2023-09-20 01:20:46
आज फुलेरा दूज का त्योहार मनाया जा रहा है. ये त्योहार बसंत पंचमी और होली के बीच फाल्गुन में मनाया जाता हैं. ज्योतिषियों के मुताबिक,फुलेरादूजआजजानेंपूजनविधिऔरइसदिनकामहत्व फुलेरा दूज पूरी तरह दोषमुक्त दिन है. इस दिन का हर क्षण शुभ होता है. इसलिए कोई भी शुभ काम करने से पहले मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती. कोई भी नया काम शुरू करने के लिए फुलेरा दूज का दिन सबसे उत्तम होता है. माना जाता है कि इस दिन में साक्षात श्रीकृष्ण का अंश होता है. तो जो भक्त प्रेम और श्रद्धा से राधा-कृष्ण की उपासना करते हैं, श्रीकृष्ण उनके जीवन में प्रेम और खुशियां बरसाते हैं. फुलेरा दूज में मुख्य रूप से श्री राधा-कृष्ण की पूजा की जाती है. वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों को अच्छा बनाने के लिए इस दिन का खास महत्व होता है.फुलेरा दूज का त्योहार राधा-कृष्ण को समर्पित है. शाम का समय ही पूजन के लिए सबसे उत्तम होता है. शाम को स्नान करके पूरा श्रृंगार करें. राधा-कृष्ण को सुगन्धित फूलों से सजाएं. राधा-कृष्ण को सुगंध और अबीर-गुलाल भी अर्पित कर सकते हैं. प्रसाद में सफेद मिठाई, पंचामृत और मिश्री अर्पित करें. इसके बाद 'मधुराष्टक' या 'राधा कृपा कटाक्ष' का पाठ करें. अगर पाठ करना कठिन हो तो केवल 'राधेकृष्ण' का जाप कर सकते हैं. श्रृंगार की वस्तुओं का दान करें और प्रसाद ग्रहण करें. अगर वैवाहिक जीवन के लिए पूजा करनी है तो पीले कपड़े पहनें. पूजा के बाद सात्विक भोजन ही ग्रहण करें.कृष्ण भक्त इस दिन को बड़े उत्साह से मनाते हैं. राधे-कृष्ण को गुलाल लगाते हैं. भोग, भजन-कीर्तन करते हैं क्योंकि फुलेरा दूज का दिन कृष्ण से प्रेम को जताने का दिन है. इस दिन भक्त कान्हा पर जितना प्रेम बरसाते हैं, उतना ही प्रेम कान्हा भी अपने भक्तों पर लुटाते हैं. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो इस दिन आप अपने जीवनसाथी के साथ मतभेद दूर करने के उपाय भी कर सकते हैं.फुलेरा दूज मुख्य रूप से बसंत ऋतु से जुड़ा त्योहार है. वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों को अच्छा बनाने के लिए इसे मनाया जाता है. फुलेरा दूज वर्ष का अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है. इस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं. फुलेरा दूज में मुख्य रूप से श्री राधा-कृष्ण की पूजा की जाती है. जिनकी कुंडली में प्रेम का अभाव हो, उन्हें इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करनी चाहिए. वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर करने के लिए भी इस दिन पूजा की जाती है. इसे फूलों का त्योहार भी कहते हैं क्योंकि फाल्गुन महीने में कई तरह के सुंदर और रंगबिरंगे फूलों का आगमन होता है और इन्हीं फूलों से राधे-कृष्ण का श्रृंगार किया जाता है. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो फुलेरा दूज के दिन से ही लोग होली के रंगों की शुरुआत कर देते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन से ही भगवान कृष्ण होली की तैयारी करने लगते थे और होली आने पर पूरे गोकुल को गुलाल से रंग देते थे.
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